पंचायती राज दिवस : महात्मा गाँधी के कर्म भूमि चम्पारण के परसौनी देवजीत पंचायत के समाजसुधारक

Ganga Prasad Yadav: परसौनी देवजीत पंचायत के समाजसुधारक गंगा प्रसाद यादव की कहानी

Late Ganga Prasad Yadav

अंग्रेजो के सम्राज्य के कारन हिंदुस्तान की जनता दुखी मन से अपना जीवन निर्वाह कररही थी। देश के लगभग हिस्सों में डर का माहौल उसी समय यादव परिवार के चेथरू राय ने अपने आस पास के गाँवो को संभाला एवं मेहसी प्रखंड में लोगो के बिच एक जमींदार होने के नाते नायक की भूमिका निभाएं। धीरे धीरे हिंदुस्तान में कानून व्यवस्था लौट रही थी तभी उन्होंने पंचायती राज शुरू होते ही अपने मंझले पुत्र गंगा प्रसाद यादव को परसौनी देवजीत पंचायत के मुखिया के रूप उतारा। चेथरू राय की लोकप्रियता इतनी थी की विपक्ष नाम का कोई चीज ही नहीं था इसलिए श्री गंगा प्रसाद यादव मेहसी प्रखंड के परसौनी देवजीत पंचायत के मुखिया के रूप में चुने गए। श्री गंगा प्रसाद यादव एक ईमानदार एवं जनता के हित के लिए हमेसा उपलब्ध रहने वाले लोग थें। न तो पद का लालच न ही अपने रुतबे का घमंड पूरी जिंदगी उन्होंने फुस के मकान में बिताया आज एक छोटे से गली के नेता के पास भी स्कॉर्पियो होती है लेकिन उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी साइकिल पर गुजार दी। इन्ही सादगी के वजह से १९९२ से २००५ (सन २००५ में उनकी मौत हृदय गति रुकने से हो गई) तक वो हमेसा मुखिया का चुनाव जीतते आएं। उनके गुजरने के बाद उनके परिवार ने २०२१ तक परसौनी देवजीत की जनता का सेवा किया।

स्वर्गीय गंगा प्रसाद यादव के छोटे बेटे के पुत्र अमित रंजन यादव “विक्की” ने बताया बीते सालो में लोगो को भरकाया गया जिसके कारन पिछले चुनाव में हारना पड़ा लेकिन परसौनी देवाजित की जनता जानती है गंगा प्रसाद यादव के परिवार के अलावा कोई भी ईमानदार विकल्प नहीं है गलतिया होती है जिसे सुधारना हमारा कर्तव्य है हम आज भी अपने लोगो के साथ हैं। गंगा प्रसाद यादव को याद करते हुए उन्होंने बताया आज देश को उनके जैसे नेता की जरूरत है जो सिर्फ और सिर्फ जनता की सोचता हो भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें ।

आइये जानते है आज के बारे में
73वां संविधान संशोधन अधिनियम,1992 है जो 24 अप्रैल 1993 से प्रभाव में आया था।

अधिनियम का उद्देश्य पंचायती राज की तीन स्तरीय व्यवस्था प्रदान करना है, इसमें शामिल हैं-

क) ग्राम– स्तरीय पंचायत

ख) प्रखंड (ब्लॉक)– स्तरीय पंचायत

ग) जिला– स्तरीय पंचायत

देश में पंचायती राज व्यवस्था का जनक लॉर्ड रिपन को माना जाता है, रिपन ने साल 1882 में स्थानीय संस्थाओं को उनका लोकतांत्रिक ढांचा प्रदान किया था. इसके तहत गांवों को विकसित बनाने के लिए पंचायत की ओर से उचित कदम उठाए जाते हैं. बलवंत राय मेहता समिति के सुझावों के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सबसे पहले 2 अक्टूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया था.
एक आंकड़ों के अनुसार भारत में कुल 2.51 लाख पंचायतें हैं, जिनमें 2.39 लाख ग्राम पंचायतें, 6904 ब्लॉक पंचायतें और 589 जिला पंचायतें शामिल हैं। इन पंचायतों को 29 लाख से अधिक पंचायत प्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त है जो अपने-अपने क्षेत्रों के विकास और कल्याण के लिए काम करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *