उड़ान रद्द होने की समस्या के बीच DGCA के लिए आराम के नियम में ढील दे दी है – इस कदम से पूरे भारत में इंडिगो का परिचालन प्रभावित हुआ है।

इंडिगो का नेटवर्क अपनी उड़ान जारी रखने के लिए संघर्ष कर रहा है, जिससे देशभर के हवाई अड्डों पर अफरा-तफरी का माहौल है। एयरलाइन काउंटरों पर लंबी कतारें, चिड़चिड़ापन और बेचैनी भरी अपीलें आम बात हो गई हैं। रद्दीकरण और देरी की लहर के बीच यात्री घंटों फंसे रहते हैं, जिससे देश की सबसे बड़ी एयरलाइन लगातार चौथे दिन भी प्रभावित रही है।
पिछले चार दिनों में इंडिगो की 1,000 से ज़्यादा उड़ानें रद्द हो चुकी हैं। इन रद्दीकरणों का असर दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद जैसे प्रमुख केंद्रों पर पड़ा है, जहाँ से सैकड़ों प्रस्थान और आगमन वाली उड़ानें तेज़ी से रद्द हुई हैं।
इंडिगो में तूफ़ान: संकट कैसे बढ़ता गया
इंडिगो ने इस अफरा-तफरी के लिए “अनेक अप्रत्याशित परिचालन चुनौतियों” को ज़िम्मेदार ठहराया है, जिनमें छोटी-मोटी तकनीकी गड़बड़ियाँ, शीतकालीन कार्यक्रम में बदलाव, भीड़भाड़ और मौसम शामिल हैं।
लेकिन विमानन क्षेत्र के जानकार और नियामक इस बात पर सहमत हैं कि असली झटका उड़ान ड्यूटी समय सीमा (FDTL) के कार्यान्वयन से आया – नए चालक दल के आराम और ड्यूटी-घंटे के नियम, जो पायलटों की थकान को रोकने के लिए बनाए गए हैं।
शुरुआत में जनवरी 2024 में लागू किए गए, लेकिन अब तक लागू नहीं हुए, इन नियमों में अनिवार्य है:
चालक दल के लिए साप्ताहिक आराम के 48 घंटे (36 घंटे से ज़्यादा)
रात्रि ड्यूटी की अवधि लंबी (00:00–06:00)
रात्रि लैंडिंग में भारी कटौती – प्रति पायलट प्रति सप्ताह केवल दो बार
रात्रि संचालन के दौरान 8 उड़ान घंटों की सीमा
इन प्रतिबंधों ने इंडिगो के अधिकांश पायलटों को अनिवार्य आराम करने के लिए मजबूर कर दिया, ठीक उसी समय जब एयरलाइन ने 26 अक्टूबर को शीतकालीन कार्यक्रम के लिए अपनी उड़ान आवृत्ति बढ़ा दी थी।


